Saturday 12 March 2016

मैं हँसता हूँ तो बस अपने गम छिपाने के लिए,…और लोग देख के कहते हैं काश हम भी इसके जैसे होते……
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क्या हुआ अगर हम किसी के दिल में
नहीं धङकते ….?
आँखों में तो बहुतो के खटकते हैं ….!!!
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“कर लेता हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ..
की खुदा नूर भी बरसाता है … आज़माइशों के बाद”..
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ये तेरे बाप का खरीदा हुआ खिलोना नहीँ जिसे तू केसे भी तोड दे ! ये मेरा दिल हे इसे बेचने का इरादा नहीँ ओर खरीदने की तेरी ओकात नहीँ..
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तुम्हारे पास आता हूं तो सांसें भीग जाती हैं,
मुहब्बत इतनी मिलती है के’ आंखें भीग जाती हैं.
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ये सर्द हवाएं मुझसे कहती है कि दिसम्बर आ गया है.
मुझे ऊन बाहों की गर्माहट का इंतज़ार आज भी है…
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मेरे लफ्जों की ज़ुबां से उफ़ नहीं होता !
लिख कर बर्बादिया मैं खुद नहीं रोता !!
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नाबुरा होगा, ना बढ़िया होगा,
होगा वैसा, जैसा नजरिया होगा ।
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लगता है मेरा खुदा मेहरबान है मुझ पर, मेरी दुनिया में तेरी मौजूदगी यूँ ही तो नहीं है|
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फिर पलकों पर ठहर गइ नमी,
दिल ने कहा बस “ऐक तेरी कमी”..!!
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मुझे तू इस क़दर अपने क़रीब लगता है ….
तुझे अलग से जो सोचूँ, अजीब लगता है..!!!
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नहीं मिला कोई तुम जैसा आज तक,
पर ये सितम अलग है की मिले तुम भी नही…
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मैं राज़ तुझसे कहूँ, हमराज़ बन जा ज़रा.
करनी है कुछ गूफतगू, अलफ़ाज बन जा ज़रा…
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अब अपने ज़ख़्म दिखाऊँ किसे और किसे नहीं …!
बेगाने समझते नहीं और अपनो को दिखते नहीं.
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गुलाब, ख्वाब, ज़हर, जाम क्या-क्या है ?
मैं आ गया हूँ बता इन्तज़ाम क्या-क्या है ?
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तुम भी कर के देख लो मोहब्बत किसी से;
जान जाओगे कि हम मुस्कुराना क्यों भूल गए।
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एक मैं हूँ , किया ना कभी सवाल कोई
एक तुम हो , जिसका कोई जवाब नहीं.
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उसने मेरा हाथ थामा था उस पार जाने के लिए…
और मेरी एक ही तमन्ना थी कभी किनारा ना आए….
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प्रेम शुं छे खबर छे ?!
तुं जवाब लखे त्यां सुघी हुं
typing.. typing..
वांच्या करु ते !….
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हमे आंखे मिलाने के शौक न था,
तुम्हे देखा तो आदत खराब हो गई…
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उनको आ सकी न निभानी मुहब्बत,
अब पड़ रही है हमको भुलानी मुहब्बत,
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“ग़मों को आबरू अपनी ख़ुशी को गम समझते हैं,
जिन्हें कोई नहीं समझा उन्हें बस हम समझते हैं.
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दोनों जानते हे के, हम नहीं एक-दूसरे के नसीब में,
फिर भी मोहब्बत दिन-ब-दिन बे-पनाह होती जा रही हे !!
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नहीं फुर्सत यकीं मानो हमें कुछ और करने की,
तेरी यादें, तेरी बातें बहुत मसरूफ़ रखती हैं…
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लगता तो बेखबर सा हूँ लेकिन खबर में हूँ,
अगर तेरी नजर में हूँ तो सबकी नजर में हूँ।
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शाम तक सुबह की नज़रों से उतर जाते हैं,
इतने समझौतों पे जीते हैं कि मर जाते हैं…
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कहाँ तक आँख रोएगी कहाँ तक किसका ग़म होगा,
मेरे जैसा यहाँ कोई न कोई रोज़ कम होगा…
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वक्त की यारी तो हर कोई करता है मेरे दोस्त,,,
मजा तो तब है जब वक्त बदल जाये पर यार ना बदले….!!
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तेरा ज़िक्र..तेरी फ़िक्र..तेरा एहसास..तेरा ख्याल…
तू खुदा तो नहीं…. फिर हर जगह क्यों हे…!!
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तेरी वफाओं का समन्दर किसी और के लिए होगा,
हम तो तेरे साहिल से रोज प्यासे ही गुजर जाते हैं !!
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कमाल करती हो तुम भी… बडे बेरहम अंदाज से करते हो नज़र अंदाज भी….
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दिल की कीमत तो मुहब्बत के सिवा कुछ ना थी…
जितने भी मिले सूरत के खरीद्दार मिले…
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कैसी कैसी रीत चलीँ और कैसे कैसे मेल,
तब खेल खेल मेँ प्यार हुआ अब प्यार हो गया खेल…!!
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तमन्ना है कि कोई हमारी शख्सियत से भी प्यार करे…..
वरना हैसियत से प्यार तो तवायफ भी करती है….
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आज उदासी ने भी हाथ जोड़कर कहा मुझसे…
तुझे तेरे प्यार का वास्ता,मेरा आसियाना छोड…
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जब तुम नज़र नहीं आते,
मुझे कुछ नज़र नही आता ..
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मुझे मालूम है ऐसा कभी मुमकिन
ही नहीं,
फ़िर भी हसरत रहती है कि तुम याद
करोगे…
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मलहम नही तो हमारे जख्मो पर नमक ही लगा दे.
हम तो तेरे छूने से ही ठीक हो जायेंगे ..
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उम्र कितनी मंजिले तय कर चुकी..!!
दिल बेचारा वही का वही रह गया..!!
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न जाने कैसी नज़र लगी है ज़माने की,
अब वजह नही मिलती मुस्कुराने की.
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कल रात चाँद बिकुल उनके जैसा था
वही नूर….. वही गरूर……वही सरूर,
वही उनकी तरह…… हमसे कोसो दूर ।।।
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क्यु ना छोड़ दे मंजिल की फ़िक्र!!!
राह चलना भी तेरे साथ किसी जन्नत से तो कम नहीं …
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मैं चाहता हूँ….तुझे यूँ ही उम्र भर देखूं,
कोई तलब ना हो दिल में….तेरी तलब के सिवा …
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अभी तो दिल कर रहा है कि बस सो जाऊं ,
तेरे ख्यालों के बे-हद जंगल में खो जाऊँ ……
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ये दिल की लगी कम क्या होगी,
ये इश्क़ भला कम क्या होगा….
जब रात हैं ऐसी मतवाली, फिर सुबह का आलम क्या होगा …!!!
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पढ़ लेता हूँ तुझे हर बार,
वोह दो नीली रेखाये गवाह है व्होट्स एप की!!
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जाते जाते उसने पलट कर मुझसे कुछ यूं कहा,
तुम हमें भुल जाओ, हम तो तुमसे प्यार सिखने आए थे…..
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शायरी शॊक नहीं, और नाही कारोबार मेरा,
बस दर्द जब सह नहीं पाता,तो लिख लेता हूँ…
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एक वो पगली है जो मुझे समझती नहीं…
और यहा सब मेरी शायरी को पढ़ पढ़ के दीवाने होते जा रहे है.
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वक्त के साथ-साथ बहुत कुछ बदल जाता है….
लोग भी… रास्ते भी… अहसास भी….
और कभी – कभी… हम खुद भी..!!!
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एक पल में ले गयी मेरे सारे गम खरीद कर…
कितनी अमीर होती है ये बोतल शराब की…
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मैं तो पहले भी था महफ़िल में,
मैं तो अब भी हूँ महफ़िल में,
फ़र्क सिर्फ़ इतना है कि, पहलेतुम थी,अब ये शराब है महफ़िल में.
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माना के किस्मत पे मेरा कोई ज़ोर नही….
पर ये सच ह के मोहब्बत मेरी कमज़ोर नही,
उस के दिल मे, उसकी यादो मे कोई और है लेकिन,
मेरी हर साँस में उसके सिवा कोई और नही..
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मैं वक़्त बन जाऊं, तू बन जाना कोई लम्हा…
मैं तुझमे गुज़र जाऊं, तू मुझमें गुज़र जाना…
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मेरी आँखों में झाँकने से पहले ज़रा सोच लीजिए,
जो हमने नजरे झुका ली तो क़यामत होगी,
और हमने नज़रें मिला ली तो मोहब्बत होगी।।
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वो भी क्या दिन थे..
जब घड़ी एकाध के पास होती थी
और समय सबके पास होता था………..
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स्याही थोड़ी कम पड़ गई वर्ना किस्मत
तो अपनी भी खूबसूरत लिखी गई थी..
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सिर्फ मैं ही हाथ थाम सकूँ उसका …मुझ पर इतनी इनायत सी कर दे …
वो रह ना पाये इक पल भी मेरे बिना …ऐ रब .. उसको मेरी आदत सी कर दे ..!!
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तेरे गुरूर को देखकर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने,
ज़रा हम भी तो देखे कौन चाहता है तुम्हे
हमारी तरह…!!!
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याद करने की हम ने हद कर दी मगर,
भूल जाने में तुम भी कमाल करते हो..
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मत पूछो कितनी मोहब्बत है मुझे उनसे ! बारिश की बूँद भी अगर उन्हें छू ले…. तो दिल में आग लग जाती है ….!!
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दिल तो यु ही किसी का चुरा लेते हम… मगर माँ कहेती है चोरी करना बुरी बात हे…
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मुझे मालूम था के लौट के अकेले ही आना है ,
फिर भी तेरे साथ चार कदम चलना अच्छा लगा !!
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इतनी ठोकरे देने के लिए शुक्रिया, ए-ज़िन्दगी..
चलने का न सही,,,,
सम्भलने का हुनर तो आ गया…
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प्यार तो अचानक ही हो जाता है,
इरादे से जो हो उसे तो सेटिंग कहते है.
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जिक्र तेरा हुआ तो हम महफ़िल छोड़ आये,,,
हमें गैरों के लबों पे तेरा नाम
अच्छा नहीं लगता….
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मेरी ईन नशीली आँखों मै मत देख ऐ सनम,
नशा हो गया तोह ऊतरेगा नही ।
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वो दिन जो गुजरे तेरे साथ….
काश….जिँदगी उतनी ही होती…..
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मैं बड़ो कि इज़्जत इसलिए करता हु,
क्यूंकि उनकी अच्छाइया मुझसे ज़्यादा है…
और छोटो से प्यार इसलिए करता हु,क्यूंकि उनके गुनाह मुझसे कम है…
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एक तू मिल जाती, इतना काफ़ी था,
सारी दुनियाँ के तलबगार नहीं थे हम..!!
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हम अपने दिल की बात बताकर चले आये,
सुना है महफ़िल में अभी तक ख़ामोशी है……
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तुम गरदन जुकाने की बात करते हो, हम वौ है जो आंख उठाने वालोकी गरदन पऱसाद मै बाट देते है..।।
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आप मुझसे मिलने आये हो ….
….. बैठो…..
.
.
मै खुद को बुलाकर लाता हूँ…….
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अकल कितनी भी तेज ह़ोनसीब के बिना नही जित सकती ,
बिरबल काफी अकलमंद होने के बावजूद..कभी बादशाह नही बन सका ।
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ज़िंदगी मे सच्चे लोगो की तलाश करना छोड़ड़ दिया हमने,
लोग तो सिर्फ़ वक़्त बिताने और दिल जलाने के लिए हे मिलते हे.
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मिल ही जाएगा हम को भी कोई ना कोई टूट के चाहने वाला..
अब शहर का शहर तो बेवफा नही होता….
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जंगल मैं शेर से और शहर मैं हम से
बच के रहना …..,,,,,,
शेर तो सिर्फ फाडते है मगर हम बिच
रस्ते मैं गाडते हैं…
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क्यूँ पता पूछते हो श्याम के नाम का,
बस C /O लिख दो राधा के नाम का……
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“क्षमा करने से पिछला समय तो नहीं बदलता,
लेकिन इससे भविष्य सुनहरा हो उठता है।”
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महसूस खुद को तेरे बिना मैंने कभी किया नहीं।
तू क्या जाने लम्हा कोई मेने कभी जिया नहीं!!!
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परेशां हूँ कि…….परेशानी नही जाती ।
बचपन तो गया पर नादानी नही जाती !
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माँ के बिना दुनिया की हर चीज कोरी है ।
दुनिया का सबसे सुंदर संगीत माँ की लोरी है ।
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बेचैनी जब भी बढ़ती है धुंए में उड़ा देता हूँ ,
और लोग कहते हैं मैं सिगरेट बहुत पीता हूँ !
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ये शहर आजकल वीरान पड़ा है,
सुनने में आया है कि,
उनकी पायल खो गयी है !
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मैं क्या जानूँ दर्द की कीमत ?
मेरे अपने मुझे मुफ्त में देते हैं !
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दो चार नहीं मुझे सिर्फ एक ही दिखा दो दोस्त,
वो शख्स जो अन्दर से भी बाहर की तरह हो।
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यहाँ सब खामोश है कोई आवाज़ नहीं करता….
सच बोलकर कोई किसी को नाराज़ नहीं करता….
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ज़िन्दगी रही तो कल फिर होगी महफ़िल में गुफ्तगू दोस्तों,
अगर इस रात ही चल बसे तो अपना सलाम आखरी है..!!
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कुछ ऐसे हादसे भी होते हैं जिंदगी में..
इंसान बच तो जाता है पर जिंदा नहीं रहता.
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बस ज़ायके में थोड़ा कड़वा है..
वरना सच का कोई ज़वाब नहीं ॥
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कुछ सपनों को पूरा करने निकले थे गाँव से,
किसको पता था कि गाँव जाना ही एक सपना बन जायेगा.
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आज मैंने जज्बात भेजे….
तुमने फिर अलफ़ाज़ ही समझे…!
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सारे सपने तोड़कर बैठे हैं,दिल का अरमान छोड़कर बैठे हैं..
ना कीजिये हमसे वफ़ा की बातें, अभी-अभी दिल के टुकड़े जोड़कर बैठे हैं…!
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कैसे भूलेगी वो मेरी बरसों की चाहत को,
दरिया अगर सूख भी जाये तो रेत से नमी नहीं जाती…
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मरना होता तो कबके मर गए होते…
.
.
तेरी यादों में
हर रोज़
.
.
मरने का मज़ा ही कुछ अलग है …!!
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तुम खुश-किश्मत हो जो हम तुमको चाहते है..
वरना, हम तो वो है जिनके ख्वाबों मे भी लोग इजाजत लेकर आते है…!!
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ख्वाहिशों को जेब में रखकर निकला कीजिये,
जनाब;
खर्चा बहुत होता है, मंजिलों को पाने में!
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कोई दौलत पर नाज़ करते हैं,
कोई शोहरत पर नाज़ करते हैं,
जिसके साथ आप जैसा दोस्त हो,
वो अपनी किस्मत पर नाज़ करते हैं.
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मैंने तो बस उसको पाने की ज़िद्द की थी…
मेरा खुदको खोने का कोई इरादा नहीं था…
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वो बार-बार मुझसे
पूछती है….आखिर क्या है
मोहब्बत………….
अब क्या बताऊँ उस को कि उसका पूछना और मेरा न बता पाना ही मोहब्बत है………
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चले आओ मेरे परिंदों लौट कर अपने आसमान में,
देश की मिटटी से खेलो, दूर-दराज़ में क्या रक्खा है ?
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साँसें तेरी रोक दूँ,या मेरी रोक लूँ,
मरना तो किस्मत में
आखिर, मेरा ही लिखा है….
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इक ख़त कमीज़ में उसके नाम का क्या रखा,
क़रीब से गुज़रा हर शख्स पूछता है कौन सा इत्र है जनाब।।
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मुझे मालुम है तुम खुश हो बहोत इस जुदाई से,
अब ख्याल रखना, तुम्हें तुम जैसा ना मिल जाए।
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वो भी तडप ना जाये तो,
लानत है मुजे मेरे ईश्क पर..
सिर्फ निगाहै मिलने कि देरी है…
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फ़ोन पर वो दो रूहें देर तक खामोश सी रही.
लफ़्ज़ सारे गायब थे, मगर हज़ारों बातें हो गयी…
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मैं नींद में ही सही जाग तो रहा था मगर,
खुली जो आँख तो ख़्वाबों के सिलसिले टूटे।
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तलाश में बीत गई सारी जिंदगानी;
अब समझा की खुद से बड़ा कोई हमसफ़र नहीं होता…
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रोज़ कलम लेके बैठता हूँ अपना गुनाह लिखने के लिये,
और मुझे बस तेरा ही नाम याद आता है!
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कुछ दिन तो तेरी यादें वापस ले ले..
'पागल'
मैं कई दिनों से सोया नहीं….!!
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सर्द हवाएँ क्या चली फिज़ाओं में….
हर तरफ तेरी यादों की धुँध बिखर गई…
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जिंदगी के किसी मोड़ पर अगर हम बुरे लगें,
तो ज़माने को बताने से पहले हमको बता देना!
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लोग बदनाम करते गऐ…
हमारा नाम होता गया….
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हक़ीक़त ज़िद किये बैठी है चकनाचूर करने की,
मगर हर आँख फिर सपना सुहाना ढूँढ़ लेती है…
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आँखों में तेरी कोई करिश्मा ज़रूर है…
तू जिसको देख ले;
वो बहकता ज़रूर है…
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चाँदनी चाँद करता है चमकना सितारोँ को पडता है,
मोहब्बत आँखे करती है तडपना दिल को पडता है|
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याद महबूब की और शिद्दत सर्दी की…
देखते हैं हमें कौन बीमार करता है..!
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कब तक याद करूँ मैं उसको कब तक अश्क़ बहाऊँ,
यारो अब तो रब से दुआ करो मैं उसको भूल ही जाऊँ…
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मैंने अपनी हर एक सांस तुम्हारी गुलाम कर रखी हैं,
लोगो मैं ये ज़िन्दगी बदनाम कर रखी हैं.
अब ये आइना भी क्या काम का मेरे … मैंने तौ अपनी परछाई भी तुम्हारे नाम कर रखी हैं ….
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मुद्दतों से उसके इंतजार में हुँ यारों,
कही पढ़ लिया था कि सच्ची मोहब्बत
लौटकर आती है..!
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मुझसे अगर पूछना है तो मेरे जज्बात पूछ,
जात और औकात तो सारी दुनिया को पता है!
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मेरे जैसा सौदागर नहीं मिलेगा तुमको,
फरेब खरीदता हूँ मोहब्बत दे कर..
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उसकी जीत से होती है ख़ुशी मुझ को,
यही जवाब मेरे पास अपनी हार का था.
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छु जाते हो तुम मुझे हर रोज एक
नया ख्वाब बनकर..
.
.
ये दुनिया तो खामखा कहती है
कि तुम मेरे करीब नहीं..""
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चार लाइन दोस्तों के नाम-
काश फिर मिलने की वजह मिल जाए
साथ जितना भी बिताया वो पल मिल जाए,
चलो अपनी अपनी आँखें बंद कर लें,
क्या पता ख़्वाबों में गुज़रा हुआ कल मिल जाए..
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मुहब्बत शोर है, तो, शोर मत कर
इबादत है अगर, कुछ, और मत कर….
नज़ाकत से, नफ़ासत से, निभाना
ये कच्ची डोर है, तू जोर मत कर …….
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निगाहों में कोई भी दूसरा चेहरा नहीं आया,
भरोसा ही कुछ ऐसा था तुम्हारे लौट आने का…..!
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सारा जहाँ चुपचाप है..
आहटें ना साज़ है……..
क्यों हवा ठहरी हुई है……..
आप क्या नाराज़ है…….!!!
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जुकी जुकी नजर तेरी, कमाल कर जाती हे,
उठती हे एक बार तो, सवाल कर जाती हे.
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मेरी दास्ताँ-ए-वफ़ा बस इतनी सी है,
उसकी खातिर उसी को छोड़ दिया…
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एक बार और उलझना हैं तुमसे,
बहुत कुछ सुलझाने के लिये!!
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काश कोई एक रात ऐसी भी आ जाये,
नींद आ जाये पर तेरी याद न आये…
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जबसे तुम्हारे नाम की मिश्री होंठ लगाई है,
मीठा सा गम् है और मीठी सी तनहाई है …
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बुला रहा है कौन मुझको उस तरफ,
मेरे लिए भी क्या कोई उदास बेक़रार है…
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खुद को खो दिया हमने , अपनों को पाते पाते !
और लोग पूछते है , कोई तकलीफ तो नहीं …!!!
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बहुत खुबसूरत है हमारा सनम |
खुदा ऐसा चेहरा बनाता है कम ||
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मेरी दास्ताँ-ए-वफ़ा बस इतनी सी है,
उसकी खातिर उसी को छोड़ दिया…
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एक तेरा ही नशा हमें मात दे गया वरना…
मयखाना भी हमारे हाथ जोड़ा करता था…
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यही तो मज़बूरी है यारों, पत्तों में जेक और लाइफ में ब्रेक लगती है
तब ना इक्का काम आता है ना सिक्का।…
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है परेशानियाँ यूँ तो बहुत सी ज़िंदगी में..
तेरी मोहब्बत सा मगर, कोई तंग नहीं करता…!!
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लहू बेच-बेच कर, जिसने परिवार को पाला ।
वो भूखा सो गया, जब बच्चे कमानेवाले हो गये।
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मैँ कभी बुरा नही था उसने मुझे बुरा कह दिया……
फिर मैँ बुरा बन गया ताकी उन्हे कोई
झुठा ना कह दे……!!
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कागज में लिपटी रोटियाँ मैं खाऊँ भी तो कैसे,
खून से लथपथ आते हैं अखबार आजकल !!
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जिस चीज़ पे तू हाथ रखे वो चीज़ तेरी हो,
और जिस से तू प्यार करे, वो तक़दीर मेरी हो.
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गले में सोना ….. टेशन में रौना …..
प्यार में गम …. और " वॉटसअप " में
हम ,, फेमस हे यार…..
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सोचता हूँ की, कभी भी अब तुझें याद नहीं करूँगा..
फिर सोचता हूँ ये फ़र्क़ तो रहने दो हम दोनों में….
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हमें अपना इश्क़ तो एक तरफा और अधूरा ही पसंद है;
पूरा होने पर तो आसमान का चाँद भी घटने लगता है..
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जब चाहूँ तुम्हे मिल नहीं सकता,
लेकिन जब चाहूँ तुम्हे याद कर सकता हूँ ….
*******
ऐसा नही कि, मेरे इन्तजार की…उन्हें खबर नही,
लेकिन….
तड़पाने की आदत तो….उनकी फितरत में शुमार है…..!!
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कहीं नाराज न हो जाए उपरवाला मुझ से,
हर सुबह उठते ही,
उससे पहले तुझे जो याद करता हूँ.
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दिल की उम्मीदों का हौंसला तो देखो,
इंतजार उसका जिस को अहसास तक
नहीं …..
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कितने अनमोल होते हैं
ये अपनों के रिश्ते…..!!
कोई याद न करे
तो भी इंतज़ार रहता है…!!
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आंखे तेरी हो या मेरी,
बस इतनी सी ख्वाईश है
की ये कभी नम ना हो……….
*******
फेस पे स्माईल की,
और जिंदगी में स्टाईल की कमी नहीं होनी चाहिए.
*******
लोग आपके पास क्या है वो देखते है, आप क्या है वो नहीं देखते.!!
*******
मै वो शख्स नही , जो दिल पे खंजर न
खा सकूँ ! !
तू इतना इमान रखना , कि वार सामने से करना ! !
*******
किसी से बदला लेने का आनंद दो चार दिन ही रहेगा;
लेकिन माफ कर देने का आनंद जिंदगी भर रहेगा..!!!
*******
अगर मुहब्बत की हद नहीं कोई,
तो फिर दर्द का हिसाब क्यों रखूँ…
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न मैं था…
न मैं हूँ…
न मैं रहूँगा…
तुम्हारे बगैर…
*******
अच्छा हुआ……तुम किसी और के हो गए।
खत्म हो गई फिक्र………..तुम्हेँ अपना बनाने कि।
*******
मैं तुम्हारे चहरे की मुस्कान बन सकूं तो और क्या चाहिए मुझे.. !!
*******
"हकिकत" से बहोत दूर है, "ख्वाहिश" मेरी..!!!
फिर भी एक "ख्वाहिश" है कि एक ख्वाब "हकिकत" हो…
*******
हर रोज इतना मुस्कुराया करो की
ग़म भी कहे….
यार…. मै गलती से कहा आ गया…!!
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कहने को तो अपने दोस्तों का हृदय समुन्दर की तरह विशाल है,
पर इतना नमक भरा है जो किसी काम ही नहीं आता…
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"तू क्या गई मेरी ज़िंदगी से,
यहाँ आँसुओं ने अपना घर कर लिया"…!!!
*******
माँ ने बालों में फिरायी हैं उंगलियाँ अभी अभी,
तुम न जाने किसको जन्नत कहते हो?
*******
पूरी तरह से जीना
कब का भूल चूका हूँ मैं,
कुछ तुम में जिन्दा हूँ
कूछ खुद मे बाकी हूँ मैं..!!
*******
आसरा इक उम्मीद का देके मुझ से मेरे अश्क न छीन…,
बस यही एक ले दे के बचा है…, मुझ में मेरा अपना…!!!
*******
माँ के हाथ मे जादू है किस्मत को संवार देने का..
फिर वो हाथ सिर पर फिरे या गालों पर पड़े..
*******
ख्यालों को ख्यालों का ख्यालों में ख्याल आया,
कि ख्यालों को ख्यालों का ख्यालों में ख्याल था…
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कुछ डरी सहमी ठिठकी और आगे बढ़ गई..
मजबूर थी क्या करती…गैरत मेरी,
जरूरतों को तलाशने बेशर्मी की हद से गुजर गई.
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तुम खुश हो ना.. बस .. और क्या चाहिए.. मेरे जाने से ही सही ..
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तुम्हारी जुल्फ के साये में शाम कर लूँगा,
सफ़र इस उम्र का पल में तमाम कर लूँगा…
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रुक गयी मेरी कलम दर्द-ए-दिल बयाँ करते-करते,
मेरी मोहब्बत को उसने अपना रुतबा समझ लिया !!
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वो सामने है मेरे
और जुदा भी है..
वो गुनहगार है मेरा
और खुदा भी है.!!
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प्रीत न कीजिये पंछी जैसी, जल सूखे उड जाय!
प्रीत तो कीजिये मछली जैसी, जल सूखे मर जाय!
*******
सन्नाटा सा हैं
इक शोर के बाद
शायद किसी रिश्ते ने
दम तोड़ा होगा !!!
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सब सो गये अपने हाले दिल बयां करके,
अफसोस की मेरा कोई नहीं
जो मुझसे कहे तुम क्यों जाग रहे हो।
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लत ऐसी लगी है कि तेरा नशा मुझसे छोड़ा नहीं जाता,
हकीम भी कह रहा है कि इक बूँद इश्क भी अब जानलेवा है……!!
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ये रात चांदनी बनकर आपके आँगन आये,
ये तारे सारे लोरी गा के आपको सुलायें,
हो आपके इतने प्यारे सपने यार , कि नींद में भी आप मुस्कुराएँ .
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प्यारी सी रात मे, प्यारे से अन्धेरे मे,
प्यारी सी नींद मे, प्यारे
से सपनो मे, प्यारे से अपनो को,
प्यारी सी गुड नाईट.
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गिरी मिली एक बोतल शराब की,,,तो ऐसा लगा मुझे
जैसे बिखरा पड़ा था एक रात का
सुकून किसी का !!!
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बना लो उसे अपना जो दिल से तुम्हे चाहता है।
खुदा की कसम ये चाहने वाले बडी मुश्किल से मिलते है॥
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कुछ लम्हे गुजारे तूने मेरे साथ,
तुम उन्हें वक्त कहेते हो और हम उन्हें जिंदगी कहेते हे ..
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हंसते हुए होठों ने भरम रखा हमारा ,
वो देखने आया था किस हाल में हम है.
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जरुरते तोड देती है इन्सान के घमंड को,
न होती मजबुरी तो हर बंदा खुदा होता.
*******
उन्होंने कहा, बहुत बोलते हो, अब क्या बरस जाओगे….!!
हमने कहा, चुप हो गए तो तुम तरस जाओगे….!!
*******
इसलिए खामोश रह के उम्र पूरी काट दी…
ज़िन्दगी तुझसे बहस का फायदा कोई नहीं…
*******
तुजे किस्मत समझ कर सीने से लगाया था,
भूल गए थे के किस्मत बदलते देरनहीं लगती…!!
*******
ताल्लुक़ टूट कर बाद में जो कुछ भी रह गये,
मगर मोहब्बत में वो पहला मुस्कुराना हमेशा याद आता है…!!
*******
उसकी हसरत को मेरे दिल में लिखने वाले !
काश उसे भी मेरे नसीब में लिखा होता !!
*******
रोज कहाँ से लाऊँ,
एक नया दिल,
तोड़ने वालों ने तो,
मजाक बना रखा है…
*******
बस.. एक तुम्हे पाने की तमन्ना ही नहीं रही …
मोहब्बत तो आज भी तुम से बेशुमार करते है !!
*******
खुद ही दे जाओगे तो बेहतर है..!
वरना हम दिल  चुरा भी लेते हैं..!
*******
तेरे मिलने का गुमान..तेरे न मिलने की खलिश,
वक़्त गुज़रेगा तो ज़ख्म भी भर जायेंगे ।।
*******
मै यादों का किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
मै गुजरे पल को सोचूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद हैं जाकर मुद्दत से.
मै देर रात तक जागूँ तो ,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
वो पल भर की नाराजगियाँ,
और मान भी जाना पलभर में,
अब खुद से भी रूठूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं ।
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हद से बढ़ जाये ताल्लुक तो ग़म मिलते हैं ।
हम इसी वास्ते हर शख्स से कम मिलते हैं ।
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हमने उनसे कहा की अब छोड़ दो या तोड़ दो हमें ।
उन्होंने हंस कर गले लगाया और कहा …छोड़ तो हम रहे हैं….टूट तो अपने आप जाओगे ।
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कोन कहेता है की दोस्ती बराबरी वालो में होती है..
सच तो ये है की दोस्ती में सब बराबर होता है.
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अगर जिंदगी में जुदाई ना होती;
तो कभी किसी की याद आई ना होती;
साथ ही गुजरता हर लम्हा तो शायद;
रिश्तों में इतनी गहराई ना होती।!!!!
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हौंसला मत हार, गिरकर ऐ मुसाफिर,..
अगर दर्द यहाँ मिलता है तो, दवा भी यहीं मिलेगी…!
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ना किसी से ईर्ष्या, ना किसी से कोई होड़,
मेरी अपनी मंजिलें, मेरी अपनी दौड़..!
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"ना खुशी खरीद पाता हूं और ना गम बेच पाता हूं
फिर भी ना जाने क्यूं हर रोज बाजार जाता हूं।
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अब जिस के जी में आए, वही पाए रौशनी…
हम ने तो दिल जला के सर-ए-आम रख दिया…
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दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं,
लोग अब मुझ को तेरे नाम से पहचानते हैं…
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किसी ने आज पूछा हमसे कहाँ से लाते हो ये शायरी…!!
मैं मुस्करा के बोला "उसके ख्यालो मे डूब कर" ..!!
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तेरी यादों के सिरहाने सिर रख के आज फ़िर सोने चले है…
शब्बा ख़ैर…
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डूबकर तेरी झील सी गहरी आँखों में,
एक मयकश भी शायद पीना भूल जाए.
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निरंतर कार्य करने वाला मरने से कुछ घंटे पूर्व ही वृद्ध होता है।………..
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तू रात भर करवटें बदलती है मुझमें. .
मैं सलवटों-सा बचा रह जाता हूँ सुबह.
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लफ्ज़ तो सारे सुने सुनाये है,,
अब तु मेरी ख़ामोशी में ढुँढ जिक्र अपना..
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एक रिश्ता गुमनाम सा चला हाँथ थाम के,
एक रिश्ता घुटता रहा ता-उम्र ले कर फेरे सात…
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मेरा प्यार सच्चा था इस लिये तेरी याद आती है,
अगर तेरी बेवफाई भी सच्ची है तो अब यादों मे मत आना.
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आपकी धड़कन से हैं रिश्ता हमारा,
आपकी साँसों से हैं नाता हमारा,
भूल कर भी कभी भूल न जानI,
आपकी यादों के सहारे हैं जीना हमारा.
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कौन कहेता है की मुझ में कोइ कमाल रक्खा है,
मुझे तो बस कुछ अपनो ने संभाल रक्खा है,,,!!
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किसी ने हम से पुछा इतने छोटे से दिल मे इतने सारे दोस्त कैसे समां जाते है….!!!
हम ने कहा वैसे ही जैसे छोटी सी हथेली मे तकदीर की लकीरें बन जाती है….
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मैंने कहा आज झूठ का दिन हैं…..
वो मुस्करा के बोले, फिर तुम मेरे हो!!
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जब छोड़ गये सब,
तब मिला मुझे रब…!!!
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मगरूर दुनिया जो कहती है तो कहने दो,
हम हर किसी को मुड़ कर देखा नहीं करते…
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भुखा शेर हमला करता है ……. और ……. जखमी शेर तबाही…….
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कलम मे जँग लग गया था ,तेरे आने से,
धार ओर भी तेज हो गयी है तेरे जाने से..!!
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सब सो गये अपने हाले दिल बयां करके,
अफसोस की मेरा कोई नहीं जो मुझसे कहे तुम क्यों जाग रहे हो।
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तुम दुआ के वक़्त जरा मुझे भी बुला लेना,
दोनों मिलकर एक दूसरे को मांग
लेंगे..
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रात तो वक्त की पाबंद हैं ढल जायेगी,
देखना ये हैं चिरागो का सफ़र कितना हैं!
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तुम आना हर रोज़ सुबह की नर्म धुप बनके…
मैं चिड़ियों की चहचहाहट बनके तुम्हारा इंतज़ार किया करूंगा….
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अपने मंसूबों को नाकाम नहीं करना है,
मुझको इस उम्र में आराम नहीं करना है.
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इंसान जब दिल के हाथो मजबूर होता है,
तो झूठे प्यार पर भी बडा गुरुर होता है.
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बस तुम्हे पाने की तमन्ना नहीं रही …
मोहब्बत तो आज भी तुम से बेशुमार करते है ! !
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वो दिन जो गुज़रे तेरे साथ,
काश ज़िन्दगी उतनी ही होती.
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मेरी वफा कि गवाही सितारे देते रहेँ ,
बस मेरे चाँद को ही मुझ पे यकीन ना आया.
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जिंदगि कि एक सच्चाइ.
आपको दिनभर हसाने वाला आदमि,रात को अकेले मे बहुत रोता हे.,!
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पूरी दुनिया स्वार्थी है ,
भगवान ही एक सारथी है…
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डूबे हुओं को हमने बिठाया था और फिर
कश्ती का बोझ कहकर उतारा हमें गया !!!"

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