Wednesday 24 December 2014

आज भी मंत्रमुग्ध करते हैं अजंता एलोरा

अजंता को ऐतिहासिक पहचान देती अजंता एलोरा की गुफाओं को एक लंबे अरसे बाद 1819 में एक ब्रिटिश अफसर ने शिकार के दौरान देखा तो उसे पत्थरों व पहाड़ों को काट कर बनाई गई इन अद्भुत गुफाओं का अस्तित्व चकित कर गया।
प्रकृति की हरी−भरी वादियों में बसी, बाघेरा नदी के किनारे घोड़े की नाल के आकार में बनी इन गुफाओं का निर्माण तब किया गया जब बौद्ध धर्म अपनी अलग−अलग अवस्थाओं में पनप रहा था। औरंगाबाद से 99 किलोमीटर दूर स्थित अंजता की गुफाओं की संख्या 30 है।
विशाल पर्वतों को काट कर बनाई गई इन गुफाओं के भित्ति चित्र और इनके अंदर निर्मित मूर्तियों का सौंदर्य सैंकड़ों सालों बाद भी सैलानियों को मंत्रमुग्ध करने की क्षमता रखता है। इन गुफाओं का निर्माण लगभग शायद दूसरी से सातवीं शताब्दी के बीच किया गया था।
गुफा न. एक में भगवान बुद्ध की भव्य मूर्ति देखने को मिलती है। इसकी विशेषता यह है कि इसे सामने से देखने पर महात्मा बुद्ध ध्यानमग्न नजर आते हैं जबकि दाएं एवं बाएं देखने पर क्रोधित तथा प्रसन्नचित मुद्रा में नजर आते हैं। इस गुफा का एक अन्य आकर्षण एक सिर से चार हिरणों का शरीर जोड़े हुए मूर्ति है। इस गुफा की छत पर भी देखने योग्य चित्रकारी की गई है।
अजंता की गुफाओं में बने सभी चित्र प्राकृतिक रंगों से बने हैं जिनमें हजारों वर्ष बीत जाने के बाद भी चमक देखी जा सकती है। ये बेजोड़ नमूने उस काल की चित्रकला, शिल्प व संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं। गुफा के भीतर की चित्रकारी अपनी सुंदरता, भाव अभिव्यक्ति, आकर्षक चमकीली रंग योजना एवं उत्कृष्ट रंगों से उकेरी गई संतुलित रचनाओं के कारण हतप्रभ कर देती हैं।
इन गुफाओं को देखने के लिए प्रवेश शुल्क देना पड़ता है लेकिन यदि आप मुफ्त में इन गुफाओं की सैर करना चाहते हैं तो यहां शुक्रवार को जाइए क्योंकि शुक्रवार को यहां सैर मुफ्त में करने की छूट है। आमतौर पर गुफाएं सुबह 9 बजे से शाम साढ़े 5 बजे तक खुली रहती हैं। यहां पहुंचने के लिए बेहद पक्की और साफ−सुथरी और चौड़ी सड़कें बनी हुई हैं जिनके दोनों ओर जलपान करने के लिए ढाबों की भी उचित व्यवस्था है।
एलोरा की गुफाएं अपने बेजोड़ शिल्प व स्थापत्य के लिए जहां विश्व विख्यात हैं वहीं अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए भी जानी जाती हैं। यहां की गुफाएं मूर्तिकला के माध्यम से हिंदू धर्म, जैन धर्म व बौद्ध धर्म संस्कृति का दर्शन कराती हैं। कलाप्रेमियों की मनपंसद स्थल अजंता की तरह ही एलोरा की गुफाएं भी विशाल चट्टानों को काट कर बनाई गई हैं। इनकी संख्या 34 है। इनमें से 16 गुफाएं हिंदू, 13 बौद्ध और 5 जैन धर्म की प्रतीक हैं। अजंता गुफाएं जहां कलात्मक भित्ति चित्रों के लिए मशहूर हैं वहीं एलोरा गुफाएं मूर्तिकला के लिए विख्यात हैं।
पर्यटक बारीकी से इन गुफाओं का सौंदर्य तो निहार सकते हैं लेकिन अपनी स्मृतियों को कैमरे में संजो नहीं सकते क्योंकि फोटोग्राफी यहां वर्जित है। यह स्थान औरंगाबाद, जलगांव, मुंबई, पुणे तथा नासिक व आसपास के नगरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। यहां से बस या टैक्सी द्वारा अजंता एलोरा पहुंचा जा सकता है।
सितंबर से फरवरी तक का समय यहां घूमने के लिए ठीक रहता है। बरसात के बाद चारों ओर छाई हरियाली यहां घूमने के मजे को दोगुना कर देती है। इसलिए जहां तक संभव हो इसी दौरान यहां आने का कार्यक्रम बनाना चाहिए।

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