Wednesday, 9 March 2016

shayari 4 u

किस हद तक जाना है ये कौन जानता है,
किस मंजिल को पाना है ये कौन जानता है,
जिन्दगी के दो पल हैं, जी भर के जी लो,


किस रोज़ बिछड जाना है ये कौन जानता है।।
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तुमनें हमेशा सब, हंसी में उड़ा दिया
जो कुछ भी कहा मैनें, तुमनें सब भुला दिया
पर मेरी आंखों का, क्या कसूर था जो
जब भी आंखों नें तुम्हे देखा, तुमनें इन्हें रूला दिया.

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साथ रोती थी हसा करती थी
एक परी मेरे दिल में बसा करती थी...
किस्मत थी हम जुदा हो गए वरना
वो मुझे अपनी तकदीर कहा करती थी.
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खूबसूरत सा एक पल किस्सा बन जाता है,
जाने कब कौन जिंदगी का हिस्सा बन जाता है,
कुछ लोग जिन्दगी में मिलते हैं ऐसे..
जिनसे कभी ना टुटने वाला रिश्ता बन जाता है।
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जिंदगी तुझसे हर कदम पर..
 समझौता क्यों किया जाऐ,
शौक जीने का है मगर इतना भी नहीं
 कि मर मर कर जिया जाए,
जब जलेबी की तरह,
 उलझ ही रही है तू ए जिंदगी...
तो फिर क्यों न तुझे चाशनी में डुबा कर
 मजा ले ही लिया जाए!

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