दर्द की बारिशों में
हम अकेले ही थे..
जब बरसी ख़ुशियाँ
न जाने भीड़ कहां से आ गयी.
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तेरे क़रीब आकर उलझनों में हूँ, पता नहीं दोस्तों में हूँ या दुश्मनों में हूँ.
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सहारे ढूढ़ने की आदत नही हमारी, हम अकेले पूरी महफ़िल के बराबर है...
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अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी, खडे रहना भी, कीतना मुश्किल है, बडे हो के बडे रहना भी...
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तेरे क़रीब आकर उलझनों में हूँ, पता नहीं दोस्तों में हूँ या दुश्मनों में हूँ.
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सहारे ढूढ़ने की आदत नही हमारी, हम अकेले पूरी महफ़िल के बराबर है...
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अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी, खडे रहना भी, कीतना मुश्किल है, बडे हो के बडे रहना भी...
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जब पांच सेकंड की मुस्कान से फोटो अच्छी आ सकती है तो ..
हमेशा मुस्कुराने से जिन्दगी अच्छी क्यों नही हो सकती है? ..
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